केशकाल में आयोजित तीन दिवसीय केशकाल एडवेंचर फेस्टिवल का समापन हुआ। इस एडवेंचर फेस्टिवल में कर्नाटक, पश्चिम बंगाल सहित अन्य राज्यों के पर्यटकों के साथ राज्य के विभिन्न जिलों से भी पर्यटक शामिल हुए थे। ये पर्यटक 17 दिसम्बर को एडवेंचर कैम्प में शामिल हुए थे। जिन्हें जिला प्रशासन द्वारा अयोजित इस फेस्टिवल में जिले के पर्यटक स्थलों का भ्रमण कराया गया। जिसमें उन्हें जिले की प्राकृतिक, सांस्कृतिक एवं पुरातात्विक विरासतों से परिचय कराया गया। इस उत्सव में एवरेस्ट पर फतह करने वाली बस्तर की पर्वतारोही नैना सिंह धाकड़ ने भी हिस्सा लिया था।
केशकाल के प्राकृतिक सौंदर्य ने जीता पर्यटकों का मन
इस फेस्टिवल में शामिल होने आये लोगों में कुछ ऐसे पर्यटक थे जो कि सोशल मीडिया इंफ्लूएंसर एवं ट्रेवल ब्लॉगर भी थे। इन्हें फेस्टिवल में टाटामारी, मांझिनगढ़ के साथ मारी क्षेत्र में स्थित कुएंमारी, लिंगोदरहा, मासुलहूर, ढोलकुडुम जलप्रपातों को भी दिखाया गया। जिसे देखकर वे मंत्रमुग्ध रह गये थे। इसके संबंध में बैंगलुरू कर्नाटक से आये ट्रेवल माई नेशन के विधुर एवं अर्चना ने बताया कि वे इससे पूर्व कई पर्यटक स्थलों पर जा चुके हैं पर यह पहली बार है जब वे छत्तीसगढ़ आये हैं। यहां आने से पहले उन्होंने कभी कोण्डागांव एवं उसके पर्यटक स्थलों के बारे में सुना भी नहीं था। यहां आने के पश्चात् उन्हें कोण्डागांव के अद्भूत प्राकृतिक सौंदर्य से रूबरू होने का मौका मिला। मांझिनगढ़ के आदिमानव कालिन शैलचित्र एवं यहां का नजारा वे कभी नहीं भूल सकते। यह एक अनोखा अनुभव था। यहां पर जलप्रपातों एवं पुरातात्विक धरोहरों की प्रचुरता है। उनके साथ सभी का मन केशकाल में खो गया था।
पुरातात्विक धरोहरों को मिलेगी नई पहचान
पश्चिम बंगाल से आये ऑफ बियर एंड अनटोल्ड ब्लॉग के अग्नि एवं अमृता ने कहा कि कोण्डागांव में मांझिनगढ़, भोंगापाल, गोबराहीन, बड़ेडोंगर, गढ़धनोरा में पांचवी से सातवीं शताब्दी एवं उससे पूर्व के भी पुरातात्विक धरोहरों के विषय में उन्हें जानने का मौका मिला। जिनमें भोंगापाल का बौद्ध विहार एवं उससे जुड़ी कहानियां अपने आप में विलक्षण है। प्राकृतिक के साथ यहां की पुरातात्विक विरासतों को भी सहेजने में इस प्रकार के उत्सवों की अहम भूमिका होगी। हम अपने आप को भाग्यशाली मानते हैं कि हमें इस उत्सव का हिस्सा बनने एवं कोण्डागांव की सांस्कृतिक एवं पुरातात्विक धरोहरों को जानने का मौका मिला।