छत्तीसगढ़ के वन एवं विधि विधायी मंत्री मोहम्मद अकबर ने कहा है कि आदिवासियों, किसानों और वंचितों का कल्याण राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में शामिल है। राज्य सरकार द्वारा आदिवासियों को विकास की मुख्यधारा से जोड़ते हुए उनके जीवन स्तर को ऊंचा उठाने और उनकी सांस्कृतिक, ऐतिहासिक धरोहरों को सहेजने के हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। श्री अकबर ने आज ‘भारत में जनजातीय संक्रमण: मुद्दे, चुनौतियां और आगे की राह‘ (‘ट्रायबल ट्रांजिशन इन इंडिया: इश्यूज, चैलेंजेस एण्ड रोड अहेड‘) विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को सम्बोधित करते हुए इस आशय के विचार प्रकट किए।
इस राष्ट्रीय सम्मेलन के मुख्य अतिथि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल थे, लेकिन उनकी व्यस्तता के कारण वन मंत्री अकबर ने इस राष्ट्रीय सम्मेलन को मुख्यमंत्री बघेल के प्रतिनिधि के रूप में मुख्यमंत्री निवास से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सम्बोधित किया। वन मंत्री ने इस अवसर पर सभी लोगों को संविधान दिवस की शुभकामनाएं दीं।
इस राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन हिदायतुल्ला राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय रायपुर द्वारा छत्तीसगढ़ के जनजातीय अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान (ट्रायबल रिसर्च एण्ड ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट) और ठाकुर प्यारेलाल राज्य पंचायत एवं ग्रामीण विकास संस्थान के सहयोग से वर्चुअल मोड में किया गया। सम्मेलन में छत्तीसगढ़ के आदिमजाति कल्याण मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम, राज्यसभा सांसद श्री विवेक कृष्ण तन्खा, छत्तीसगढ़ के महाधिवक्ता श्री सतीश चन्द्र वर्मा विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे। कार्यक्रम में एचएनएलयू रायपुर के कुलपति प्रोफेसर डॉ. वी.सी. विवेकानंदन और रजिस्ट्रार प्रोफेसर डॉ. उदय शंकर भी उपस्थित थे।
वन मंत्री श्री अकबर ने सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों के संरक्षण, शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार सहित उनकी संस्कृति और परम्पराओं को सहेजने के लिए राज्य सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों की विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि पिछले तीन वर्षों के दौरान राज्य सरकार ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज के सपने साकार करने के लक्ष्य को लेकर अनेक नीतियों और योजनाएं प्रारंभ की हैं। सुराजी गांव योजना, नरवा, गरवा, घुरूवा, बाड़ी कार्यक्रम, गोधन न्याय योजना जैसी योजनाओं से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिली है और आदिवासियों का जीवन स्तर ऊंचा उठा है। श्री अकबर ने कहा कि छत्तीसगढ़ में वन अधिकार कानून को प्रभावी रूप से क्रियान्वित करते हुए व्यक्तिगत और सामुदायिक वन अधिकार पट्टों के साथ ग्राम सभाओं को वन संसाधन के अधिकार भी दिए गए हैं। लघु वनोपजों के समर्थन मूल्य में वृद्धि के साथ खरीदी जाने वाली लघु वनोपजों की संख्या 7 से बढ़ाकर 52 की गई है। साथ ही लघु वनोपजों के वेल्यू एडिशन के कार्य में हजारों की संख्या से आदिवासियों और वनवासियों को रोजगार से जोड़ा गया है।
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